पितृ शांति

पितृ शांति

अगर किसी व्यक्ति के मृत्यु के बाद उसका विधि विधान से अंतिम संस्कार न किया गया हो या फिर किसी की अकाल मृत्यु हो जाये तो उस व्यक्ति से जुड़े परिवार को लोगो को कई पीडियो तक पितृ दोष का दंश झेलना पड़ता है। इसके साथ ही पितृ दोष के अशुभ प्रभाव से बचे रहने क लिए जीवन भर उपाय करने पड़ते है।

पितृ दोष के लक्षण - पितृ दोष होने पर व्यक्ति के जीवन में संतान का सुख नहीं मिल पता, अगर मिलता भी है तो कई बार संतान विकलांग होती हैं, मंद बुद्धि होती है, या फिर चरित्रहिन् होतीं है, या फिर कई बार बच्चे की पैदा होती ही मृत्यु हॉट जाती है

  • नौकरी और व्यवसाय में म्हणत करने क बाद बावजूद भी हानि होती रहे
  • परिवार में अक्सर कला बने रहना, या फिर एकता न होना, परिवार में शांति का आभाव
  • परिवार में किसी न किसी व्यक्ति का सदैव बीमार बने रहना
  • इलाज करने क बाद भी ठीक न होना
  • पितृ दोष होने पर अपनों से ही अक्सर धोका मिलता है।
  • परिवार के सदस्य पर अक्सर किसी प्रेत बढ़ा का प्रभाव पितृ दोष कहलाता है।
  • इस वजह से होता ह पितृ दो।  पितृ को विधिवत अंतिम संस्कार व श्राद्ध न होन। 
  • पितरो की विस्मर्ति या अपमान करन।
  • पीपल, नीम, बरगद को कटवान।
  • नाग की हत्या करना या किसी से करवान इत्यादि

सरल उपाय

  • कुंडली में पितृ दोष बन रहा हो तब जातक को धार की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वार्डिये परिजनों का फोटो लगाकर उसपर हार चढ़कर रोजाना उनकी पूजा स्तुति करनी चाहिए, उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
  • अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण िथि पर जरुरत मांडो अथवा गुड़ी ब्राह्मणो को भोजन कराये, भोजन में मात्रात्मा की काम से काम एक पसंद की वास्तु अवश्य बनाय।
  • इसी दिन हो सके तो अपनी सामर्थ्य सानुसार गरीबो को वस्त्र और अन्न दान करने से भी ये दोष समाप्त होता है।